Thursday 9 June 2016

क्या है खुश रहने का राज़

एक समय की बात है, एक गाँव में महान ऋषि रहते थे| लोग उनके पास अपनी कठिनाईयां लेकर आते थे और ऋषि उनका मार्गदर्शन करते थे| एक दिन एक व्यक्ति, ऋषि के पास आया और ऋषि से एक प्रश्न पूछा| उसने ऋषि से पूछा कि “गुरुदेव मैं यह जानना चाहता हुईं कि हमेशा खुश रहने का राज़ क्या है (What is the Secret of Happiness)?” ऋषि ने उससे कहा कि तुम मेरे साथ जंगल में चलो, मैं तुम्हे खुश रहने का राज़ (Secret of Happiness) बताता हूँ|

ऐसा कहकर ऋषि और वह व्यक्ति जंगल की तरफ चलने लगे| रास्ते में ऋषि ने एक बड़ा सा पत्थर उठाया और उस व्यक्ति को कह दिया कि इसे पकड़ो और चलो| उस व्यक्ति ने पत्थर को उठाया और वह ऋषि के साथ साथ जंगल की तरफ चलने लगा|

कुछ समय बाद उस व्यक्ति के हाथ में दर्द होने लगा लेकिन वह चुप रहा और चलता रहा| लेकिन जब चलते हुए बहुत समय बीत गया और उस व्यक्ति से दर्द सहा नहीं गया तो उसने ऋषि से कहा कि उसे दर्द हो रहा है| तो ऋषि ने कहा कि इस पत्थर को नीचे रख दो| पत्थर को नीचे रखने पर उस व्यक्ति को बड़ी राहत महसूस हुयी|

तभी ऋषि ने कहा – “यही है खुश रहने का राज़ (Secret of Happiness)”| व्यक्ति ने कहा – गुरुवर मैं समझा नहीं|

तो ऋषि ने कहा-

जिस तरह इस पत्थर को एक मिनट तक हाथ में रखने पर थोडा सा दर्द होता है और अगर इसे एक घंटे तक हाथ में रखें तो थोडा ज्यादा दर्द होता है और अगर इसे और ज्यादा समय तक उठाये रखेंगे तो दर्द बढ़ता जायेगा उसी तरह दुखों के बोझ को जितने ज्यादा समय तक उठाये रखेंगे उतने ही ज्यादा हम दु:खी और निराश रहेंगे| यह हम पर निर्भर करता है कि हम दुखों के बोझ को एक मिनट तक उठाये रखते है या उसे जिंदगी भर| अगर तुम खुश रहना चाहते हो तो दु:ख रुपी पत्थर को जल्दी से जल्दी नीचे रखना सीख लो और हो सके तो उसे उठाओ ही नहीं

Thursday 3 March 2016

प्रेरणादायक कहानियां जो जिंदगी बदल दे

हाथी – Elephant
क्या आपको पता है, जब हाथी का बच्चा छोटा होता है तो उसे पतली एंव कमजोर रस्सी से बांधा जाता है| हाथी का बच्चा छोटा एंव कमजोर होने के कारण उस रस्सी को तोड़कर भाग नहीं सकता| लेकिन जब वही हाथी का बच्चा बड़ा और शक्तिशाली हो जाता है तो भी उसे पतली एंव कमजोर रस्सी से ही बाँधा जाता है, जिसे वह आसानी से तोड़ सकता है लेकिन वह उस रस्सी को तोड़ता नहीं है और बंधा रहता है| ऐसा क्यों होता है?
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब हाथी का बच्चा छोटा होता है तो वह बार-बार रस्सी को छुड़ाकर भागने की कोशिश करता है, लेकिन वह कमजोर होने के कारण उस पतली रस्सी को तोड़ नहीं सकता और आखिरकर यह मान लेता है कि वह कभी भी उस रस्सी को तोड़ नहीं सकता| हाथी का बच्चा बड़ा हो जाने पर भी यही समझता है कि वह उस रस्सी को तोड़ नहीं सकता और वह कोशिश ही नहीं करता| इस प्रकार वह अपनी गलत मान्यता अथवा गलत धारणा (Wrong Beliefs) के कारण एक छोटी सी रस्सी से बंधा रहता है जबकि वह दुनिया के सबसे ताकतवर जानवरों में से एक है|

भौंरा Bumblebee 
दोस्तों वैज्ञानिकों के अनुसार भौंरे का शरीर बहुत भारी होता है| इसलिए विज्ञान के नियमो के अनुसार वह उड़ नहीं सकता| लेकिन भौंरे को इस बात का पता नहीं होता एंव वह यह मानता है की वह उड़ सकता है| इसलिए वह लगातार कोशिश करता जाता है और बार-बार असफल होने पर भी वह हार नहीं मानता क्योंकि वह यही सोचता है कि वह उड़ सकता है| आखिरकार भौंरा उड़ने में सफल हो ही जाता है|

आविष्कार Discovery
दोस्तों इस जीवन में नामुनकिन कुछ भी नहीं (Nothing is impossible in life), नामुनकिन शब्द मनुष्य ने ही बनाया है| जब टेलीफोन और रेडियो आदि का आविष्कार नहीं हुआ था तो दुनिया और विज्ञान यही मानते थे कि आवाज को कुछ ही समय में सैकड़ो किलोमीटर दूर पहुँचाना नामुनकिन (Impossible) है, लेकिन आज मोबाइल हमारे जीवन का हिस्सा है|
इसी तरह जब तक विमान का आविष्कार नहीं हुआ था तब तक विज्ञान जगत भी यही मानता था कि मनुष्य के लिए आकाश में उड़ना संभव नहीं लेकिन जब राइट बंधुओं ने विमान का आविष्कार किया तो यह “असंभव”, “संभव” में बदल गया (Impossible becomes Possible)|

क्रिकेट
इसी तरह क्रिकेट की बात ले लीजिये – वनडे क्रिकेट के इतने बड़े इतिहास में वर्ष 2010 तक एक भी दोहरा शतक नहीं लगा लेकिन वर्ष 2010 में सचिन तेंदुलकर के दोहरा शतक लगाने के 2-4 वर्षों में ही 4-5 और दोहरे शतक (Double Centuries) लग गए| क्या यह मात्र संयोग था? ऐसा क्यों हुआ?
ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि 2010 से पहले जब किसी ने दोहरा शतक नहीं लगाया था तो सभी की मानसिकता यही थी कि दोहरा शतक लगाना बहुत ही मुश्किल है| क्योंकि अभी तक इस रिकॉर्ड को किसी ने नहीं तोडा था तो यह नामुनकिन सा लगता था| लेकिन जब सचिन ने दोहरा शतक लगाया तो सभी की मानसिकता बदल गयी और यह लगने लगा कि दोहरा शतक लगाना मुश्किल है पर नामुनकिन नहीं|

इस दुनिया में नामुनकिन कुछ भी नहीं (Nothing is impossible in this world),“नामुनकिन” हमारा भ्रम या गलत मान्यता है जो आख़िरकार गलत साबित होती है|

“हम वो सब कर सकते है जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है जो आज तक हमने नहीं सोचा”

हम गलत धारणाएँ (Wrong Beliefs) बना लेते है और हमें इसी कारण कोई कार्य मुश्किल या असंभव लगता है|

हम आज जो भी है वह हमारी सोच का ही परिणाम है| हम जैसा सोचते है, वैसा बन जाते है – (We become, what we think)| “असंभव” या “नामुनकिन” (Impossible) हमारी सोच का ही परिणाम है

“हमारे साथ वैसा ही होता है जैसा हम मानते है और विश्वास करते है”

भौरा
भौरा विज्ञान के नियमों के अनुसार उड़ नहीं सकता लेकिन वह मानता है कि वह उड़ सकता है इसलिए वह उड़ जाता है जबकि हाथी कमजोर रस्सी को आसानी से तोड़ सकता है लेकिन वह यह मानता है कि वह उस रस्सी को तोड़ नहीं सकता, इसलिए वह रस्सी को तोड़ नहीं पाता| 

यह हम पर निर्भर करता है कि हमें हाथी की तरह अपनी ही सोच का गुलाम रहना है या भौरे की तरह स्वतंत्र| अगर हम मानते है और स्वंय पर यह विश्वास करते है कि हम कुछ भी कर सकते है तो हमारे लिए नामुमकिन कुछ भी नही !

Tuesday 16 February 2016

असली डकैत कौन?

        एक बैंक में डकैती के दौरान डाकू ने चिल्लाते हुए कहा कोई भी अपनी जगह से न हिले, ये पैसा तो देश का है, लेकिन जिन्दगी तुम्हारी है। ये सुनते ही बैंक में मौजूत सभी लोग चुपचाप लेट गए। इसे कहते हैं दिमाग बदलने वाली तरकीब [Mind Changing Concept), जो सामान्य सोच और मानसिकता को बदल देती है।
जब एक भद्र महिला गुस्से से पास के टेबल पर लेटी तो डाकू उस पर चिल्लाते हुए बोला, कृपया सभ्य बने रहें, यहाँ डकैती हो रही है, अभद्र व्यवहार नहीं! इसे कहते हैं प्रोफेशनल होना, उसी काम पर ध्यान दें, जिसके लिए आपको प्रशिक्षित किया गया है।
डकैती के बाद जब डाकू घर आये तो छोटे डाकू ने बड़े डाकू से पैसे गिनने की बात कही, इस पर बड़े डाकू छोटे डाकू पर नाराज होते हुए बोला बेवकूफी वाली बात मत करो, इतना सारा पैसा गिनने में बहुत समय लग जाएगा, रात में टी.वी. पर समाचार में देख लेंगे।  इसे कहते हैं अनुभव। आजकल अनुभव, किताबी ज्ञान और योग्यताओं से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
उधर जैसे ही डाकू भागे, बैंक मैनेजर ने क्लर्क से पुलिस को बुलाने के लिए कहा, लेकिन क्लर्क ने कहा रुकिए जनाब हम लोग भी बैंक से 10 लाख निकाल लेते हैं और हमने जो पहले 70 लाख का गबन किया है, उसे भी जोड़ लेते हैं। इसे कहते हैं लहरों के साथ तैरना [Swim with the tide] अर्थात् प्रतिकूल परिस्थिति का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना।
क्लर्क ने कहा ऐसी डकैती हर महीने हो तो बहुत अच्छा रहेगा! इसे कहते हैं ऊब को मारना [Killing Boredom] क्योंकि व्यक्तिगत खुशी और सन्तुष्टि नौकरी से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।
अगले दिन जब टी.वी. में खबर आई कि 1 करोड़ रुपये बैंक से चोरी हो गए तो डाकुओं ने चुराए हुए पैसे कई बार गिने लेकिन उन्हें सिर्फ 20 लाख मिले, डाकू बहुत गुस्से में आ गए और बोले कि हमने अपना जीवन खतरे मतें डाला और हमें सिर्फ 20 लाख मिले, बैंक मैनेजन ने 80 लाख रुपये बड़ी आसानी से गबन कर लिए, ऐसा लगता है पढ़ा-लिखा होना ही चोरी और डकैती करने से बेहतर है। इसे कहते हैं ज्ञान सोने-चांदी से ज्यादा मूल्यवान होता है।
उधर बैंक मैनेजर खुश होकर मुस्कुरा रहा था, क्योंकि शेयर मार्केट में गवाए गए उसके सारे पैंसों की भरपाई हो जाएगी। इसे कहते हैं मौके का फायदा उठाना और जोखिम लेने का हिम्मत करना।
अब आप ही तय कीजिए कि असली डकैत कौन थे?

Thursday 11 February 2016

श्री बद्रीनाथजी की आरती

पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम।
श्री निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम।
शेष सुमिरन करत निशिदिन, धरत ध्यान महेश्वरम।
श्री वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम।
इन्द्र, चन्द्र, कुबेर, दिनकर धूप दीप प्रकाशिनम।
सिद्ध मुनिजन करत जय जय श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम।
शक्ति,गौरी,गणेश, शारदा, नारद मुनि उच्चारणं।
योगध्यान अपार लीला श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम।
यक्ष किन्नर करत कौतुक ज्ञान गन्धर्व प्रकाशितम ।
श्री लक्ष्मी कमला चंवर डोले श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम।
कैलाश में एक देव निरंजन शैल शिखर महेश्वरम।
राजा युधिष्ठिर करत स्तुति श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम।
श्री बद्रीनाथजी की पडत स्तुति होत पाप विनाशनम।
कोटि तीरथ भयो पुण्य प्राप्त ये फलदायकम।